9:52 pm 0 Comments

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

हिंदी भाषा का भाषाई विकास क्रम

1. हिंदी भाषा का भाषाई विकास क्रम

हिंदी भाषा भारतीय-आर्य भाषाओं की शाखा है। इसका क्रमबद्ध विकास इस प्रकार हुआ :

संस्कृत (1500 ई.पू. – 600 ई.) – वैदिक और लौकिक संस्कृत से भारतीय आर्य भाषाओं की नींव पड़ी।

पाली और प्राकृत (600 ई.पू. – 1000 ई.) – पाली और विभिन्न प्राकृत भाषाओं में जनभाषा का स्वरूप उभरा।

अपभ्रंश (1000 ई. – 1200 ई.) – प्राकृत से विकसित होकर अपभ्रंश बना, जिसमें लोक जीवन और कथात्मक साहित्य उभरा।

अवहट्ट (1200 ई. – 1400 ई.) – अपभ्रंश और प्रारंभिक हिंदी के बीच की कड़ी।

प्राचीन हिंदी (1000 ई. – 1400 ई.) – इसमें चंदबरदाई की पृथ्वीराजरासो जैसी रचनाएँ आती हैं।

मध्यकालीन हिंदी (1400 ई. – 1850 ई.) – भक्ति और रीति काल का साहित्य इसी दौर में रचा गया।

आधुनिक हिंदी (1850 ई. – अब तक) – खड़ीबोली हिंदी का साहित्य और गद्य का सुविकसित रूप इसी काल में मिलता है।

2. मध्यकालीन हिंदी साहित्य

• सूफी काव्यधारा – जायसी (पद्मावत), रसखान, कुतुबन, मंझन आदि ने प्रेम और मानवता का संदेश दिया।

• सगुण भक्ति धारा – तुलसीदास (रामचरितमानस), सूरदास (सूरसागर), मीराबाई आदि ने राम और कृष्ण भक्ति को लोकप्रिय बनाया।

रीति काल (1600–1850 ई.) – काव्य का विषय श्रृंगार और नायिका-भेद रहा। भाषा शास्त्रीय और परिष्कृत बनी।

रीतिकालीन कवि – बिहारी (सतसई), केशवदास, पद्माकर, देव, घनानंद।

भाषाई स्वरूप – अवधी, ब्रज और खड़ीबोली। भक्ति काल में अवधी-ब्रज, रीतिकाल में ब्रज प्रमुख रही।

सामाजिक प्रभाव – इस साहित्य ने समाज में प्रेम, सहिष्णुता और नैतिकता फैलाने में योगदान दिया।

3. आधुनिक हिंदी साहित्य (1850 ई. – अब तक)

1. भारतेंदु युग (1850–1900 ई.)

•भारतेंदु हरिश्चंद्र को आधुनिक हिंदी का जनक कहा जाता है।

•फ़ोर्ट विलियम कॉलेज और बनारस संस्कृत कॉलेज ने हिंदी गद्य को आकार दिया।

•साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, सामाजिक सुधार और पत्रकारिता का विकास।

2. द्विवेदी युग (1900–1920 ई.)

•आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने गद्य-काव्य को अनुशासन दिया।

•साहित्य में स्वदेशी आंदोलन और समाज सुधार की झलक।

3. छायावाद युग (1920–1936 ई.)

•भावुकता, आत्मानुभूति और प्रकृति-चित्रण।

•प्रमुख कवि: प्रसाद, निराला, पंत, महादेवी।

•हिंदी कविता का स्वर्णयुग।

4. प्रगतिवाद (1936–1950 ई.)

• यथार्थवाद और समाजवादी दृष्टिकोण।

• कवि/लेखक: दिनकर, नागार्जुन, त्रिलोचन, यशपाल।

• प्रगतिशील लेखक संघ (1936) का योगदान।

5. नयी कविता और प्रयोगवाद (1943/1950–1980 ई.)

• ‘तार सप्तक’ (1943) से शुरुआत।

• स्वतंत्रता बाद की जटिलताओं का चित्रण।

• कवि: अज्ञेय, धर्मवीर भारती, शमशेर बहादुर सिंह।

6. समकालीन हिंदी साहित्य (1980–अब तक)

• स्त्री-विमर्श, दलित और आदिवासी साहित्य, प्रवासी अनुभव, वैश्वीकरण।

• भाषा सरल और बोलचाल की शैली वाली।

4. आधुनिक हिंदी की विशेषताएँ

• राष्ट्रीय आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम से प्रभावित।

• उपन्यास, नाटक, कहानी, आलोचना और पत्रकारिता का विस्तार।

• हिंदी अब विश्व स्तर पर प्रयुक्त और मान्यता प्राप्त भाषा है।

Related Posts

हिंदी भाषा का विकास क्रम

•आज हम लोग जिस हिन्दी की बात करते है उस हिन्दी की स्वरूप तक पहुंचने के लिए लगभग 3500 साल की एक यात्रा करनी पड़ी है। •शुरुवात कहाँ से होती है? •शुरुवात होती है…

बोली

बोली •बोली एक छोटे क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा को बोली कहते है। जैसेः खड़ी बोली , ब्रजभाषा , बुन्देली, कन्नौजी , हरियाणवी, मेवाती, मालवी, मारवाड़ी , जयपुरी , गढ़वाली , कुमाऊँनी ,…

उपभाषा

उपभाषा बोली के विकसित रूप को उपभाषा कहते है। जैसेः हिन्दी की पाँच उपभाषाएँ 1.पश्चिमी हिन्दी 2.पूर्वी हिन्दी 3.राजस्थानी हिन्दी 4.पहाड़ी हिन्दी 5.बिहारी हिन्दी उपभाषा की विशेषताएँ: 1.उपभाषा में साहित्य की रचनाएँ होती है।…