सामान्य हिन्दी व्याकरण, भाषा-विज्ञान पार्ट-4

1.प्राचीन भारतीय आर्य भाषा
प्राचीन भारतीय आर्य भाषा (1500 ई०- 500 ई० )
प्राचीनभारतीय आर्य भाषा के दो भाग है।
(I) वैदिक संस्कृत ( 1500 ई० पू०- 1000 ई० पू० )
(॥) लौकिक संस्कृत ( 1000 ई० पू०- 500 ई० पू० )
(I)वैदिक संस्कृत (1500 ई० पू०- 1000 ई० पू० )
√ इसे वैदिकी, वैदिक, छन्दस , छान्दस आदि के नामों से जानी जाती है।
√ इसमें वेदों, पुराणों, उपनिषदों , वेदान्तों , उपवेदों आदि की रचना हुई।
√ इसमें कुल 52 ध्वनियाँ थी जिसमें से 13 स्वर एवं 39 व्यंजन थी ।
√ यह आम जन की भाषा नही थी।
√ यह सबसे कठिन भाषा थी।
√ वैदिक संस्कृत में रचनाकारों के बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं है।
( ॥ ) लौकिक संस्कृत ( 1000 ई०पू०- 500 ई०पू० )
√ लोक में प्रचलित संस्कृत को लौकिक संस्कृत कहते है।
√ पाणिनि ने लौकिक संस्कृत का व्याकरण अष्टाध्यायी ग्रंथ की रचना की।
√ इसमें लोक सम्बन्धित साहित्य की रचना होती थी।
√ इसमें आम जन से सम्बन्धित साहित्य लिखा जाता था।
√ यह आसान भाषा थी , वैदिक संस्कृत से ।
√ इसमें 48 ध्वनियाँ थी।
√ इसमें रचनाकारों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
2.मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा(500 ई० पू०-1000 ई०)
मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा के तीन भाग है
(I)पालि ( 5००ई० पू०- प्रथम शताब्दी)
(II)प्राकृत( प्रथम शताब्दी – 500 ई०)
(III)अपभ्रंश( 500ई०- 1000 ई०)
(I)पालि ( 5००ई० पू०- प्रथम शताब्दी)
√ पालि को प्रथम देश भाषा भी कहते है।
√ पालि को प्रथम प्राकृत भी कहते है।
√ पालि को संस्कृत का अपभ्रंश भी कहते है।
√ पालि आम जन की भाषा थी।
√ गौतम बुद्ध ने अपना उपदेश पालि भाषा में दिये।
√ पालि को बुद्ध वचन भी कहा जाता है।
√ बौद्ध साहित्य त्रिपिटक भी पालि भाषा में लिखे गये।
(III)अपभ्रंश( 500ई०- 1000 ई० )
√ अपभ्रंश का अर्थ हैः भ्रष्ट होना या पथ से भटकना या बिगड़ा हुआ
√ कुछ विद्वानों ने अपभ्रंश के अंतिम समय को अवहट्ट कहा है। अवहट्ट ( 900ई०-1100 ई०)
√ अवहट्ट को संक्रमण कालीन भाषा भी कहते है।
√ चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने अवहट्ट को पुरानी हिन्दी कहा है।
डॉ. भोलानाथ तिवारी ने अपभ्रंश के 7 प्रकार बताएँ है।
1.शौरसेनी अपभ्रंश: शौरसेनी अपभ्रंश से पश्चिमी हिन्दी , राजस्थानी हिन्दी एवं गुजराती भाषा का जन्म हुआ है।
2. मागधी अपभ्रंश: मागधी अपभ्रंश से विहारी हिन्दी , बांग्ला , उड़िया , एवं असमिया भाषा का जन्म हुआ है।
3. अर्द्धमागधी अपभ्रंश: अर्द्धमागधी अपभ्रंश से पूर्वी हिन्दी का जन्म हुआ है।
4. खस अपभ्रंश: खस अपभ्रंश से पहाड़ी हिन्दी का जन्म हुआ है।
5. पैशाची अपभ्रंश: पैशाची अपभ्रंश से लहंदा एवं पंजाबी भाषा का जन्म हुआ है।
6. ब्रांचड़ अपभ्रंश: ब्रांचड़ अपभ्रंश से सिन्धी भाषा का जन्म हुआ है।
7. महाराष्ट्री अपभ्रंश: महाराष्ट्री अपभ्रंश से मराठी भाषा का जन्म हुआ है।
आधुनिक भारतीय आर्य भाषा
आधुनिक भारतीय आर्य भाषा के तीन भाग है।
(i) प्राचीन हिन्दी ( 1000 ई०- 1400 ई०) : प्राचीन हिन्दी के प्रमुख कवि है: चन्दबरदाई, दलपति विजय, विद्यापति आदि ।
(ii) मध्यकालीन हिन्दी ( 1400 ई०- 1850 ई० ) : मध्यकालीन हिन्दी के प्रमुख कवि है: सूरदास ,कबीरदास , तुलसीदास , मलिक मुहम्मद जायसी आदि
(iii) आधुनिक हिन्दी (1850 ई०- अबतक ) : आधुनिक हिन्दी के प्रमुख कवि है: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र , जयशंकर प्रसाद , हरिवंशराय बच्चन , सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला आदि।